कर्नाटक के अलग झंडे की मांग पर हो सकता है विवाद

अनुच्छेद 370 के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर इकलौता ऐसा राज्य है, जिसका अलग झंडा है।
बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य के अलग झंडे को मंजूरी दिए जाने के बाद केंद्र सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के अलावा किसी और राज्य की ओर से ऐसा कोई उदाहरण सामने नहीं आया है। हालांकि, अधिकारी ने माना कि इसके खिलाफ भी संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। बता दें कि गुरुवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य के प्रस्तावित झंडे को पेश किया। पीली, सफेद और लाल पट्टी वाले ध्वज को अब मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद यह ध्वज आधिकारिक रूप से कर्नाटक का झंडा माना जाएगा। अगर राज्य के लिए अलग झंडे की कवायद पूरी हो जाती है तो कर्नाटक संविधान के अनुच्छेद -370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर के बाद देश का दूसरा ऐसा राज्य बन जाएगा, जिसका आधिकारिक तौर पर अलग झंडा होगा।कर्नाटक के स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल एक नवंबर को राज्य के कोने-कोने में अभी जो झंडा फहराया जाता है, वह मोटे तौर पर लाल एवं पीले रंग का कन्नड़ झंडा है। इस झंडे का डिजाइन 1960 के दशक में वीरा सेनानी एम ए रामामूर्ति ने तैयार किया था। भारतीय संविधान में निहित फ्लैग कोड और राष्ट्रीय प्रतीक ऐक्ट केवल राष्ट्रीय ध्वज से संबंध रखता है। अनुच्छेद 370 के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त जम्मू-कश्मीर इकलौता ऐसा राज्य है, जिसका अलग झंडा है। इस मामले पर अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार को डर है कि इसके बाद अन्य राज्यों, जिलों या फिर गांवों की तरफ से भी अलग झंडे की मांग उठने लगेगी। सूत्रों ने इशारा किया कि ऐसी मांगों से निपटने के लिए केंद्र सरकार को कानून और संविधान के मुताबिक, रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना पड़ेगा।

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